क्या गरीब बच्चों के लिए भी बाल दिवस का महत्व
क्या बाल दिवस पर बच्चों तक पहुंच पा रहे है चाचा नेहरू के विचार
बाल दिवस बच्चों के लिए बहुत खास होता हैं।
बाल दिवस को अंग्रेजी में चिल्ड्रेन डे भी कहते है।
आज के दिन स्कूलों में तरह- तरह की एक्टिविटीज़ कराई जाती । परिवार वाले भी इस दिन को बच्चों के लिए स्पेशल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते । उनके लिए गिफ्ट , चॉकलेट इत्यादि लाते हैं उनके दोस्तों को भी पार्टी में इनवाइट करते ।
वहीँ सोशल मीडिया में भी बाल दिवस की चारों तरफ से शुभकामनाएं मिलने लगती है।
टेलीविजन में भी आज का दिन विशेष बच्चों के नाम कर दिया जाता है आज के दिन उनके टेलंट को दुनिया के सामने दिखाया जाता है। जो पहले से ही अच्छे घरों से सम्बंध रखते हैं।
जिन्हें हर तरह की सुख -सुविधा मिलती । लेकिन आज एक वर्ग तो बाल दिवस हंसी खुशी मना लेता है। वहीँ दूसरे वर्ग के गरीब बच्चों ने स्कूल तक नहीं देखा होता , उन के लिए आज का दिन भी रोज की तरह ही सड़क के किनारे गुब्बारे, खिलौने बेचने में व्यतीत हो जाता हैं।
असल में बाल दिवस हमारे पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्हें बच्चों से बेहद प्यार करते थे, बच्चें भी उनसे इतना ही प्यार करते थे ।
उन्हें खेलते कूदते बच्चें बहुत अच्छे लगते थे।
बच्चें उन्हें प्यार से चाचा नेहरू पुकारा करते थे। बच्चों से चाचा नेहरू कितना प्यार करते थे इसका अंदाजा इसी से लगा सकते है कि उन्होंने अपना जन्मदिन बच्चों के नाम कर दिया।
उन्होंने कभी बच्चों में वर्ग जाति ,धर्म का भेदभाव नहीं किया । वे हमेशा बच्चों को कहानियों के माध्यम से सत्य का महत्व व
असत्य बोलने से होने वाली हानि को बताया करते थे।
यहां सवाल पैदा होता हैं कि क्या बाल दिवस मनाने से , नेहरू के विचार सच्च में बच्चों तक पहुचं पा रहे ?
आज की चका चौद वाली दुनिया में त्योहारों को हम हंसी ख़ुशी मना लेते । लेकिन भूल जाते हैं तो केवल उस का महत्व ।
आज बाल दिवस मनाया जाएगा। लेकिन उस के महत्व पर कोई बात नहीं करेगा। कोई नहीं बात करेगा नेहरू के विचारों पर ,
नेहरू सदा सब को साथ ले कर चले हैं ।
कैसा है सपनों का भारत नेहरू का जिस देश
में भविष्य कहलाने वाले बच्चों के हाथ में किताबें न होकर भीख की थाली दिखती है। कैसा लगता है जब उनकी आखों में चमक नहीं लाचारी दिखती है चेहरे पर हंसी नहीं भूख दिखती है।
इस बार बाल दिवस अपनों के साथ -साथ गरीब व पिछड़े बच्चों के साथ मनाया जाए। उन्हें आज के महत्व से अवगत कराया जाए । उन्हें जरूरत की किताबें , स्कूल बैंग मिठाईया देकर उनकी खुशी को दुगना कर सकते हैं।
क्योंकि कहते हैं खुशियां बाटने से बढ़ती हैं और चाचा नेहरू के सपनों के भारत का निर्माण करने में छोटी से पहल कर सकते है क्योंकि इस बार कुछ अलग किया जाए।
प्रिया गोस्वामी , डॉ भीमराव अम्बेडकर कॉलेज दिल्ली
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