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औरतों को कोसने से पहले पितृसत्ता को समझ लें।

(मेरी दोस्त की पोस्ट जा जबाव ) औरतों को कोसने  से पहले आप को पितृसत्ता और मनुवाद को समझना होगा । कि कैसे पितृसत्ता ने औरतों को कमजोर , कोमल , नाजुक बना कर रख दिया हैं। उसी तरह से इनकी परवरिश की गयी हैं। रात को देर तक ना निकलना , पढ़ाई से ज्यादा घर के कामों में लगे रहना , देह को इज्जत से जोड़ना , किसी लड़के से बात करने पर बदनाम होने का डर । घर के मर्दों के खाना खाने के बाद बचा खुचा खाना। खाने से लेकर क्या पहना है , क्या खाना हैं क्या करना , कहां जाना है ,कब हँसना , कब बोलना , कितना पढ़ना,  दुबली पतली रहो ,किस से शादी करनी  ये सभी फैसले घर के मर्द लेते । स्त्री को सुंदर होना ही है चाहे पुरुष काला कुरूप कैसा भी हो । औरत खुशी - खुशी उनकी आज्ञा का पालन करती हैं । अपना फर्ज समझते हुए । आज्ञा का पालन होगा तो अच्छी बेटी , बहू बन जाओगें आज्ञा का पालन नहीं करोगी तो बिगड़ी, कुलक्षणि , रंडी ,बेहा ,चुड़ैल , छिनाल इत्यादि नामों से पुरुष समाज नवाजता  हैं। औरत को सस्ती शिक्षा , बेकार खान - पान वहीं पुरुष को बेहतर से बेहतर शिक्षा , अच्छे से अच्छा खान - पान देने की पूरी कोशिश की जाती हैं।