Posts

Showing posts from August, 2020

अपनी मां के स्तनों को देख कर पुरुषों में कामवासना क्यों जाग्रत नहीं होती है ?

Image
अपनी मां के स्तनों को देख कर पुरुषों  में कामवासना क्यों  जाग्रत  नहीं होती है ?  मैंने तो शादी की रस्म में भी देखा है  कि बारात के जाते समय दुल्हा अपने माँ के स्तनों से दूध पीने की रस्म करता है। मेरी दादी तो  70 की उम्र में पापा के सामने नहा भी लिया करती थी। कभी - कभी पापा खुद उन्हें अच्छे से नेहा दिया करते थे। ऐसा ही मेरी ताई जी के साथ वो बिना ब्रा के रहती है  कोई उन्हें कुछ नहीं बोलता ।  शायद बढ़ती उम्र में औरतों की यौनिकता के कम होने के कारण उन्हें आजादी मिल जाती है। बहु से सास बनते  - बनते  औरतों का पर्दा हटने के साथ ज़्यादातर पाबंदियां खत्म हो  जाती है   साथ ही उनकी युवा अवस्था  भी समाप्त हो जाती है।  जबकि पुरुष समाज  सबसे ज्यादा  ध्यान महिला के स्तनों को ढकने  की ओर देता है। जैसे स्तन नहीं हो गए । कोई बम हो गए । जो पुरूष के देखने भर से वो लालायित हो उठेगा।मानो उसके शरीर के बाकी हिस्सों की तरह ये खास है ये खास नहीं है इसे खास बनाया गया है उनके स्तनों को उनकी इज्जत , शर्म में परिवर्तित कर दिया गया है। ब्रा की स्टेप दिखने,  सूट  व ब्लाउज का गला गहरा  होने पर भर से  उस महि

लज्जा ( तस्लीमा नसरीन) बुक रिव्यू

Image
लज्जा बुक रिव्यू (तस्लीमा नसरीन)  पुस्तक प्रासंगिकता -  लज्जा तसलीमा नसरीन द्वारा रचित एक बंगला उपन्यास है। यह उपन्यास पहली बार 1993 में प्रकाशित हुआ था यह पाँचवाँ उपन्यास सांप्रदायिक उन्माद के नृशंस रूप को रेखांकित करता है। कट्टरपन्थी मुसलमानों के विरोध के कारण बांग्लादेश में लगभग छः महीने के बाद ही इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। इस अवधि में इसकी लगभग पचास हजार प्रतियाँ बिक चुकी थी। धार्मिक कट्टरपन को उसकी पूरी बर्बरता से सामने लाने के कारण उन्हें इस्लाम की छवी को नुकसान पहुँचाने वाला बताकर उनके खिलाफ मौलवियों द्वारा सज़ा-ए-मौत के फतवे जारी किए गए। बाँग्लादेश की सरकार ने भी उन्हें देश निकाला दे दिया। जिसके बाद उन्हें भारत तथा अन्य देशों में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा। शीर्षक – लज्जा का अर्थ कई मायनों में अलग – अलग है जिसे भारतीय समाज में  शर्म, लाज, हया, शर्मिदगी इत्यादि के नाम से जाना जाता है। लेकिन इन शब्दों को अलग – अलग परिस्थितियों में बोला जाता है, उसी प्रकार तसलीमा नसरीन ने लज्जा शब्द का प्रयोग बंग्लादेश के दंगों में हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचारों व महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कारों क