महाभारत में स्त्री विमर्श , और आज की स्त्री के मध्य सम्बंध
महाभारत में द्रौपदी का चीर हरण हमारे इतिहास की परिस्थितियों जो आज भी एक जैसी , यहां आज भी पितृसत्ता का वर्चस्व है जो पहले भी था । इस का उदाहरण द्रौपदी के चीर हरण की परिस्थितियों से लगाया जा सकता है कि जब स्त्री पर सकंट आता है तो सारा पितृसत्तामक समाज मात्र एक दर्शक बन कर रह जाता है महाभारत का एक दृश्य । जब युधिष्ठिर ने जुआ खेलते समय पाचों भाइयों को एक के बाद एक हार जाने के बाद , फिर स्वयं को और अंत में उनकी पत्नी द्रौपदी को दांव पर लगा देता हैं और उसे भी हार जाते हैं इससें कौरवों में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती हैं द्रौपदी को सभा भवन में बुलाने के लिए एक दूत भेजा जाता है वह आने को मना कर देती है और दूत को कहती है कि वह गुरुजनों से पूछ कर आए कि उसे भविष्य में क्या करना चाहिए ? परन्तु दुर्योधन और उसके समर्थक जो द्रौपदी को अपमानित करना चाहते हैं इस बात पर जोर देते हैं कि उसे सभा में लाया जाए यह काम तो दू:शासन को सौंपा गया है और वह द्रौपदी की कोई बात सुनने को तैयार नहीं। बालों से खींचता हुआ सभागार में ले आता है। क्रोधित द्रौपदी दु :शासन को इस अपमान के लिए श्राप देती