तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं की जीत
तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं की जीत तीन तलाक एक पुरानी प्रथा है जिस में सिर्फ कुछ शब्दों को बोल कर महिलाओ के आत्मासम्मान को चीर चीर कर दिया जाता है उसे केवल उपभोग की वस्तु समझ कर जब चाहे जैसे चाहे घर से बहार निकाल दिया जाता है इस डर के कारण ना जाने कितनी महिलाऐ एक ख़ौफ में जी रही थी, कि अगर वो इस प्रथा का विरोध करती है तो कौन है? उन के साथ कहा जाएे जहाँ उन्हें इंसाफ मिले ! पर कहते है ना बुराई की उम्र ज्यादा नही होती , एक नई किरण उस अंधकार को मिटा देती है ये किरण दिखी शाहबानो ,में उसने ने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई ।उसके बाद ऐसे ही कई मामले सामने आये , होते तो ये पहले भी थे ,पर महिलाओं में शिक्षा की कमी, समाज का डर होने के कारण वो इसका विरोध नही कर पा रही थी , लेकिन जब ये सब एक शिक्षित महिलाओ के साथ होंने लगा तो । उन्होंने इस का विरोध किया ,बल्कि इस को गैरकानूनी घोषित करने व् महिलाओं के हित में कानून बनाने की गुहार सरकार से लगाई ! ये सफर लम्बा चला, पर इस में नया मोड़ 22 अगस्त 2017 को आया ! जिस में सुर्पीमकोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया! लेकिन इस से