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Showing posts from December, 2017

तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं की जीत

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तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं की जीत तीन तलाक एक पुरानी प्रथा है जिस में सिर्फ कुछ शब्दों को बोल कर  महिलाओ के आत्मासम्मान  को चीर चीर कर दिया जाता है उसे केवल उपभोग की वस्तु समझ कर जब चाहे जैसे चाहे घर से बहार निकाल दिया जाता है इस डर के कारण ना जाने कितनी महिलाऐ एक ख़ौफ  में जी रही थी, कि अगर वो इस प्रथा का विरोध करती है तो कौन है? उन के साथ कहा जाएे जहाँ उन्हें इंसाफ मिले ! पर कहते है ना बुराई की उम्र ज्यादा नही होती , एक नई किरण उस अंधकार को मिटा देती है ये किरण दिखी शाहबानो ,में उसने  ने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ  आवाज उठाई ।उसके बाद ऐसे ही कई मामले सामने आये , होते तो ये पहले भी थे ,पर महिलाओं में शिक्षा की कमी, समाज का  डर  होने के कारण वो इसका विरोध नही कर पा रही थी , लेकिन जब ये सब एक शिक्षित महिलाओ के साथ होंने लगा तो । उन्होंने इस का विरोध किया ,बल्कि  इस को गैरकानूनी घोषित करने व्  महिलाओं के हित में कानून बनाने की गुहार सरकार से लगाई ! ये सफर लम्बा चला, पर इस में नया मोड़ 22 अगस्त 2017 को आया ! जिस में  सुर्पीमकोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया!  लेकिन इस से

तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं की जीत

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तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं की जीत तीन तलाक एक पुरानी प्रथा है जिस में सिर्फ कुछ शब्दों को बोल कर  महिलाओ के आत्मासम्मान  को चीर चीर कर दिया जाता है उसे केवल उपभोग की वस्तु समझ कर जब चाहे जैसे चाहे घर से बहार निकाल दिया जाता है इस डर के कारण ना जाने कितनी महिलाऐ एक ख़ौफ  में जी रही थी, कि अगर वो इस प्रथा का विरोध करती है तो कौन है? उन के साथ कहा जाएे जहाँ उन्हें इंसाफ मिले ! पर कहते है ना बुराई की उम्र ज्यादा नही होती , एक नई किरण उस अंधकार को मिटा देती है ये किरण दिखी शाहबानो ,में उसने  ने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ  आवाज उठाई ।उसके बाद ऐसे ही कई मामले सामने आये , होते तो ये पहले भी थे ,पर महिलाओं में शिक्षा की कमी, समाज का  डर  होने के कारण वो इसका विरोध नही कर पा रही थी , लेकिन जब ये सब एक शिक्षित महिलाओ के साथ होंने लगा तो । उन्होंने इस का विरोध किया ,बल्कि  इस को गैरकानूनी घोषित करने व्  महिलाओं के हित में कानून बनाने की गुहार सरकार से लगाई ! ये सफर लम्बा चला, पर इस में नया मोड़ 22 अगस्त 2017 को आया ! जिस में  सुर्पीमकोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया!  लेकिन इस से

महिलाओं में असुरक्षा कि भावना के कारण

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महिलाओं में असुरक्षा का कारण महिला अबला नही बल्कि पूरे संसार की रचियता है जिस के ध्दारा पूरा संसार चलता है लेकिन इतिहास से ही पितृसत्तातमक समाज ने महिलाओ के मन में कमजोर , नाजुक होने की भावना भी उत्तपन्न  कर दी हैं इसलिये उन्हें हर -पल पुरुष समाज के छाया छत्र में रहने के लिए मजबूर कर दिया जाता है शादी से पहले पिता , भाई की छत्र -छाया में रखा जाता है एवम् शादी के बाद पति के पास उसकी सुरक्षा का दायित्व आ जाता है उसके यक्तिगत निर्णय से लेकर , कब क्या करना ,  कहाँ  जाना है कहाँ नही ये सभी निर्णय लड़के के परिवार वाले लेते है उसकी अपनी जिंदगी ही उसकी नही रह जाती! वो अपने आप को बेहसहारा समझने लगती है कि पुरुष के बिना उसका अस्तित्व नही है किन्हीं परिस्थितियों में  जब वो अपने हक के लिए खड़ी होती है तो हमारा समाज उसे वर्ग जाति , धर्म और इज्जत के  नाम पर चुप करा देता है तब महिलाओं में  असुरक्षा की भावना पैदा होती है कि जब उसके अपने ही उसके साथ नही है तो कानून से कैसी आश लगा सकती है क्योंकि समाज ने हमेशा से ही महिलाओं के चरित्र पर ही ऊगली उठाई है बचपन से ही उनके खिलौने को लिंग के आधार पर बाट दिए जा