केले के छिलके ( story of garbage)

केले के छिलके

कभी कभा साफ सफाई  भी महंगी पड़ जाती है।

सुबह  समय कम होनेँ के कारण ब्रेकफार्स्ट बस में ही करना पड़ता है। तो फलों के छिलकों , बिस्किट के पैकिट , चॉकलेट का रेपर इत्यादि को बैंग में रख लेती हूँ । समय रहते याद आया तो उन्हें कूड़ेदान में डाल दिया । लेकिन इस बार केले के छिलके चार दिन से बैंग में पड़े रहे।

मम्मी बार -बार बोल रही थी कि चींटी बहुत हो रही है। देख तेरे बैंग में कुछ मीठा तो नहीं है। दो दिन से लगातार बोलने पर में बोल देती थी कि मम्मी मौसम ठंडा है। इसलिए ऐसा है।

आज मम्मी  बोली  तेरे बैंग के पास ही चीटिया घूम रही । देख तो जरा अपने बैंग में ।

एक दम याद आया कि प्रिया तू ने सोमवार को केले खाये थे ।बस में अब तो तू गई। सोच रही थी कि अगर मम्मी के सामने निकाला तो सुनना पड़ेगा। बोलिगी कि कौन सी पढ़ाई है।? हमें बता जिस में टॉफी के रेपर भी बैंग में रखे जाते। कूड़े को पूरी दुनिया घूमाकर घर में डाला जाता है।

अब इंतजार करने लगी । मम्मी का दूसरे कमरे में जाने का ।
जैसे ही मम्मी गई ,जल्दी से  बैंग से कूड़ा निकाला और भाग कर कूड़े दान में डाल दिया। ।

फिर याद आया चॉकलेट , और कुरकुरे का पैकेट भी है। फिर बैंग को  साफ करने लगी। मम्मी ने देख लिया । तेरे ही बैंग में था ना कुछ बता ? नहीं मम्मी साफ कर रही हूँ  सिर्फ
बेटा मम्मी हूँ पागल मत बना ये साइड में क्या रखा है।  और इससे पहले क्या डाला था कूड़ेदान में ? कुछ नहीँ मम्मी।

सच्च है ना मम्मी से कुछ नहीं छिप सकता ।

केले के छिलके काले पड़ चुके थे। उसमें से बदबू आ रही थी।
ऐसा नहीं की ये पहली बार है। पहले सूखा कूड़ा रहता था । तो पता नहीं चलता था।

जब कभी मम्मी के सामने बैंग साफ करने लगती थी । तो बोलती कि  जितनी किताब नहीं उस से ज्यादा कूड़ा है बैंग में । हमनें तो ऐसी पढ़ाई वाली लड़की नहीं देखी। 
दुनिया बहार कूड़ा डालती है। ये घर में लाती है।
ऐसा होता रहता है। 😎😎😁
क्योंकि हम आदत से मजबूर है।

आदत अच्छी हो या बुरी जल्दी लग जाती है।
जो जल्द छूटती नहीं है।
काश अगर ऐसी आदत सभी को लग जाती तो
मेरा देश बदल जाता।

लेकिन यहां तो लोगों को खुले में  शौच करने , गुटका खा कर थूकने की ,कूड़ा खुले में डालने की आदत है। जो जुर्माने लगाने पर भी नहीं छुटती।
आज लोग अपना अच्छा बुरा नहीं सोच सकते क्या होगा उस देश का ।

प्रिया गोस्वामी


Comments

  1. बहुत अच्छा विश्लेषण।अपनी आदतो के जरिये लोगो को जागरूक करने की कोशिश की हैं।जोकि सराहनीय हैं।लोग जब खुद बखुद साफ रहना शुरू कर दें तो हमारे देश को पूर्णतः साफ होने से कोई नहीं रोक सकता।किसी भी योजना के सफल होने में जनता का शत प्रतिशत साथ होना बेहद जरूरी है।

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  2. Bhoot sandaar lekh likha h very good goodbleess you priya goswami... .

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