लुभाबना बजट

लुभाबना बजट

इस बार का आम बजट कुछ मायनों में खास रहा , क्योंकि यह मोदी सरकार का आने वाला भविष्य निधार्रित करेगा , समय के साथ मोदी सरकार के कार्यकाल खत्म होने को  और  सरकार अपनी सफलताओं को बताने में विफल रही , जिस तरह कि परिस्थितियां आज देश में हो रही है इसके  प्रति लोगो का गुस्सा बढ़ रहा है मोदी सरकार का विकास हो या  प्रशासन व्यवस्था चाहे ,वो राम रहीम , पद्मावत फ़िल्म के रिलीज पर हो या कासगंज।  ये सभी घटनाएं मोदी सरकार के  प्रशासन पर सवाल उठाती है
जहाँ मोदी सरकार के नेता और विपक्ष चुपी सादे बैठे है। उस समय आम बजट मोदी सरकार के लिए बुटी का काम करेगा।
आम बजट को पेश करते हुए आने वाले आम चुनावों का ध्यान रखा गया है सरकार 2004  अटल बिहारी वाजपयी की सरकार से सबक लेते हुए वही गलती दौहराना नही चाहती , जिस में चुनाव में किसानों और ग्रामीण छेत्रो में रहने वालों ने पार्टी को सत्ता से उखाड़ फेका था । उसके बाद काग्रेस का आग्रमन हुआ ,जो दस साल चली , कांग्रेस ने भी किसानों को नजर अंदाज किया । फिर 2014 में जनता मोदी लहर का शिकार हुई - लेकिन किसान आज भी बुरे हाल में है

इस बजट में सरकार ने किसानों ,ग्रामीण छेत्रों को ध्यान में रखा है उनके लिए सरकार अब खरीफ फसलो के उपज की लागत न्यूतम समर्थन मूल्य के तहत डेढ गुना अधिक दाम देने का वादा कर रही है लेकिन न्यूतनम समर्थन मूल्य 6 से 7% को ही मिलता है
2018 - 19 के लिए क्विंटल गेहूँ का भाव तय हुआ 1735 रूपऐ , गेंहू की उत्पादन लागत है 1256 रूपऐ और आर्थिक लागत है 2345 रूपये ,दोनों भावों के अनुसार 1735 रूपऐ कही से भी लागत का डेढ गुना नही होता ।

अगर डेढ गुना होता तो उत्पादन लागत के अनुसार एक क्विंटल गेंहू का भाव होता 1884 रुपया और आर्थिक लागत के अनुसार भाव होता है 3517 रूपऐ  ।

फूड कारपोरेशन आफ इंडिया ने 2017 -18
के लिए एक क्विंटल गेंहू की लागत का हिसाब 2408 लगाए है इस हिसाब से भी 1735 का भाव 1735 का भाव डेढ गुना नही है। वही किसानों को ANSP  का फायदा नही मिलता

दूसरा महत्वपूण बजट है दस करोड़ परिवारों के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली। जिसमें प्रति व्यक्ति के लिए 5 लाख रूपये का बीमा है
स्वास्थ्य बीमा योजना अभी 100 करोड़ का ही प्रावधान है, इतने बड़े स्तर पर बीमा राशि का प्रीमियम कुछ लाख करोड़ का हो जायेगा , वो पैसा कौन देगा । और  योजनाओ की ही तरह प्रकियाओ जटिल बना दी जायेगा। जमीनी इस्थर पा आना मुश्किल है



वित्त वित्त मंत्री के पूरे भाषण को सुनकर ऐसा लगा कि  अगले साल होने वाले आम चुनाव को सामने रखकर यह बजट तैयार किया गया है रेल बजट  भाषण में रेलवे की समस्याओं और आगे की योजना का जिक्र ना हुआ ।  इसे लेकर लोग नाराज हैं मोदी सरकार ने बीते साल आम बजट
और रेलवे बजट को एक साथ मिला दिया इसके पहले तक रेल बजट के लिए पूरा दिन दिया जाता था, इस  दोहराना रेलवे के विकास आगे की योजना और यात्री सुविधाओं की  घोषणा की जाती थी । जबकि  इस साल पुरे बजट में रेल बजट को थोरे ही शब्दों में पूरा कर दिया ,जब कि रेल बजट में पहले  से 15 हजार करोड़ कम दिए गए । अरुण जेटली ने कहा कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए सरकार बड़ोदरा में विशेष रेलवे यूनिवर्सिटी खोलने की दिशा में कदम बढ़ा रही है इसके अलावा मुंबई रेल नेटवर्क के 11000 करोड़ पर का प्रावधान रखा बेंगलुरु मेट्रो के लिए 17000 को रुपए का प्रवधान रखा। जबकि अच्छा ये होता कि कम संसाधनो में ही रेलवे को मजबूत किया जाता , बेकार पड़ी रेल डिब्बे, रेल लाइन को दुरुस्त किया जाता , ताकि यात्रियों को कम खर्च में अच्छी सुविधा मिल सके , और दुबारा यात्रियों का  रेल प्रशाासन पर विश्वास मजबूत हो , अजीब बात है जहाँ मेट्रो का किराया बढ़ने से 5 लाख यात्री कम हो गए , उसी देश मे चन्द लोगो के लिए बुलेट ट्रेन को लाया जा रहा है

इनकम टेक्स वालों के लिए कोई राहत नहीं दिखी। जो कि पहले की तरह ढाई लाख कमाने वालों के लिए कोई टैक्स नहीं था जबकि 5लाख कमाने वालों के  5 पर्सेंट का टैक्स है 5 से 10 लाख कमाने वालों की 20 पर्सेंट टैक्स है और इससे अधिक कमाई पर 30% टैक्स लगा हुआ है जो कि पहले की तरह ही है  11 करोड़ रूपये का प्रस्ताप ,कर्ज के लिए  लिए। वेतन भोगी क्लास को  कुछ राहत भी देनी है उन्होंने बीच का रास्ता निकाला की अभी तक मेडिकल बिल और दूसरी सुविधाओं के नाम पर जो छूट मिल रही थी उसे बदल कर स्टेंडर्ड   डिटेक्शन दे दिया ,तो  इस प्रकार सिर्फ कहने के लिए भी हो गया कि वेतन भोगी  कर्मचारियों को राहत भी दी ।
महिलाओं के लिए राहत उज्जवल योजना के तहत 3 करोड़ नई मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जाने की घोषणा की गई ।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत 6करोड़
से बढ़ाकर 8 करोड़ शौचालय के निमार्ण की योजना ।
स्वास्थ सुविधाओं को बेहतर करते हुए 1.5 लाख मेडिकल सेंटर यह जब तक खुलेगा जब तक सपना खूब दिखाएगा,
15  सालो से
हर बार बजट में नए एम्स बनाने की घोषणा की जाती है लेकिन इस  बार नही की गयी  ।
हर तीन संसदीय क्षेत्र के बीच एक अस्तपाल खुलेगा , यह जब तक खुलेगा जब तक सपना खूब दिखाएगा, इस से  अच्छा होता कि जिला अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जाता , मेडिकल सीट बढ़ाते , एम.डी. की सीट बढ़ाते ,तो युवाओं को रोजगार भी मिलता , आज मौजुदा अस्पतालों की हालत खस्ता है वहा एक डॉक्टर पर 50 मरीज होते , रिपोट के आधार पर  हर मरीज को दो मिनट से भी कम डॉक्टर देखते है।

बेरोजगारी पर बजट में कुछ खास नही दिखा
नोकरी इंटरव्यू को खत्म कर दिया ।
जब की महाराष्ट् सरकार ने 30% नोकरिया को  कम करने का फैसला किया ,जब कि केंद्र सरकार पांच साल से खाली पड़े पदों को खाली करने जा रही है

सरकार ने जनता को आम बिल से बड़े बड़े सपने दिखा दिए है जब की सच्चाई कुछ ओर ही है क्योंकि कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है। लेकिन सवाल है कि बीते सालों में उन्हें नजरअंदाज ही क्यों किया गया ,और जब अब कि आम ,चुनाव इतना नजदीक है तो उनकी याद क्यों आई ?

प्रिया गोस्वामी, दिल्ली

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