मजा में सजा

मजा में सजा
आज ये शब्द बिल्कुल सही है क्योंकि लोग अपने मजे के लिए लगातार पर्यावरण को हानि पहुँचा रहा हैं उससे अपने जुड़े हित -अहित भूल गए ! दीपावली ही उसका ज्वलित उदाहरण , है सुप्रीम कोट ने दिल्ली में पटाखों पर बेन लगाने का कोई असर नही दिखा, हर बार कि तरह ही पटाखों को धड़ल्ले से बेचा गया !
अंतर सिर्फ इतना है कि ये काम चोरी छिपे हुए हैं ये घटना आज के समाज को परिभाषित करती हैं  इस समाज को शिक्षा कि आवश्यकता  , ताकि इनकी मानसिकता को बदला जा सके !  तभी कोई निर्णय कारगर साबित होगा , तब  लोग पर्यावरण के सरक्षण को अपनी जिंदगी का आधार मान कर चलीगे !   लेकिन बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए जो बड़े - बड़े वायदे किये गए |  दीवाली पर उनकी भी पोल खुल गयी , एक तरफ दिल्ली के लोगो के हित में पटाखों पर बेन लगाया जाता है दूसरी तरफ दिल्ली में सफाई कर्मचारियो के हड़ताल पर जाने के कारण चारों तरफ कूड़ा कूड़ा हो गया ! इस कारण कूड़े में बदबू हो  रही है  बदबू के निजात के लिए लोग कूड़ा जला रहे है  जिस से हवा प्रदूषित हो रही है !
   लगा था कि  गाजीपुर के कूड़े कि घटना ने सरकार के आँख कान खोल दिए , जल्द ही कूड़े से राहत मिलेगी , पर समय के साथ खबर पुरानी हो गयी , सरकार भी इस कूड़े में मरे लोगों को भूल गई !  लेकिन फिर वही लापरवाही देखने को मिलती है   कि उसमें  फिर आग लग जाती , उस कूड़े में से निकले वाली जहरीली गैसे वहाँ रहने वाले लोगो के  लिए खतरनाक होने के साथ - साथ पूरी दिल्ली को जहर पीने  को मजबूर होना पड़ रहा है आज हर दिल्ली वाला हर - रोज चार सिगरेट के बराबर  जहरीली हवा को पी रहा व सास ले रहा है कुछ लोगो के कारण पूरी दिल्ली को अपने स्वास्थ्य के साथ खेल ना पड़ रहा है यहाँ केवल कम्पनियों के विकास पर ध्यान दिया गया , और नदियों , पानी, हवा को प्रदूषित होने को छोड़ दिया गया !
अब भी दिल्ली एन .सी .आर  में कम्पनिया  लगातार बन रही , जिस कारण वहा का जमीनी पानी , हवा भी प्रदूषित हो गई है , आस - पास के गॉव के  लोग वह पानी पी कर टी.बी ,दमा  जैसी गम्भीर बीमारी का शिकार हो रहे है जो की गरीब है वह ना तो वाटर प्यूरीफायर खरीद सकते है ना तो एयर प्यूरिफायर  खरीद सकते है ना ही पानी की बोतल खरीदने में सक्षम है !  आज इन मशीनों का फायदा भी कुछ चन्द लोग उड़ा रहे है और बाकि लोगो की जिंदगी भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है कमाल है ना जो मजदूर देश की प्रगति में अपना खून पसीना लगा देते है आज उनकी जिंदगी की रक्षा करने वाला कोई नही है सरकार सिर्फ उनकी रक्षा करने के ढोंग रचती रहती है लेकिन निर्णयो कि मार ही गरीबो को पड़ती है उन्हें तो ग्रीन टेक्स लगा कर छोड़ दिया जाता है आज हालात दिन पे दिन बदतर होते जा रहे है

प्रिया गोस्वामी

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