प्रेम में

प्रेम में 

क्या गुलाबों की तरह 
काटों पर चलोगें क्या ? 

जात, धर्म , समाज छोड़ कर  इंसान बनोगे क्या ?
कामवाली ना समझकर  साथी बनाओगे क्या ? 
घर की रानी ना बनाकर , दिल की महारानी बनाओगे क्या ? 
जिस्म से प्यार ना करके 
 रूह से प्यार करोगे क्या ? 
बड़ी- बड़ी बातें ना करके
 सच्च बोलकर 
दिल जीतोगे क्या ? 
दूर होकर भी 
साथ रहोगे क्या ? 
 दिल टूटने पर भी 
मनाओगे  क्या ? 
जिम्मेदारी न समझकर  
इबादत करोगे क्या ? 

गलती करने पर 
ताने मारने के बजाय 
सुधारोगे क्या ? 

दिल से ,प्यार खत्म होने पर 
 बेहिचक बताओगे क्या । 

 घर की इज्जत ना मानकर 
इंसान समझोगे क्या ? 

फड़फड़ाते परों को ना कुचलकर 
उड़ना सिखाओगे क्या ?  
सिर्फ मेरे ही 
मेरे रहोगे क्या ?  



प्रिया गोस्वामी 

Comments

Popular posts from this blog

खत्म होता बचपन

मंटो एक बदनाम लेखक ( पुस्तक का रीव्यू)

क्योंकि मैं चुप हूँ