क्या है मेरा अस्तिव
क्या अस्तित्व हैं मेरा
नन्नी सी कली थी में
पैदा होते ही
पितृ नामक
समाज ने डरना सिखाया
परिवार ने इज्जत के नाम पर पीछे हटना
सिखाया
प्रशासन ने न्याय ना लेना सिखाया
समाज ने
मर्द को खिलौने कि तरह खेलना सिखाया
सदियों से
मेरी चीख हर गली मोहल्ले में हर समय गूँज रही हैं
जो जब चाहे मेरे जिस्म को अपनी विरासत समझ लेता हैं
ना उम्र देखते हैं ना कद देखते -2
यहाँ हर पल एक निर्भया ,
जीते जी मर रही हैं
यहाँ देवी की मूर्तियो को पूजा जाता हैं
और जो घर में हैं
उन का शोषण किया जा रहा
उसे कभी
एक नौकरानी बच्चा पैदा करने की
मशीन तो
कभी वेश्या का पद दिया जाता है
पर शादी कर के उनके रिश्ते को नाम दे दिया जाता ,
उनकी हवस को एक जिंदगी भर का प्रणाम पत्र मिल जाता है
अब खिलौना मेरा जब चाहे खेल सकता है
क्यों भूल जाते हो, जिस मर्दानी का तुम रोब दिखाते हो
तुम भी एक नारी से जन्मे हो
आज नारी हैं तो तेरा अस्तिव हैं
बस एक ही पुकार इंसाफ -इंसाफ इंसाफ
अब लड़ के लेना हैं इंसाफ
बहुत अच्छे भाव हैं प्रिया तुम्हारे....
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