अपनी मां के स्तनों को देख कर पुरुषों में कामवासना क्यों जाग्रत नहीं होती है ?

अपनी मां के स्तनों को देख कर पुरुषों में कामवासना क्यों जाग्रत नहीं होती है ? मैंने तो शादी की रस्म में भी देखा है कि बारात के जाते समय दुल्हा अपने माँ के स्तनों से दूध पीने की रस्म करता है। मेरी दादी तो 70 की उम्र में पापा के सामने नहा भी लिया करती थी। कभी - कभी पापा खुद उन्हें अच्छे से नेहा दिया करते थे। ऐसा ही मेरी ताई जी के साथ वो बिना ब्रा के रहती है कोई उन्हें कुछ नहीं बोलता । शायद बढ़ती उम्र में औरतों की यौनिकता के कम होने के कारण उन्हें आजादी मिल जाती है। बहु से सास बनते - बनते औरतों का पर्दा हटने के साथ ज़्यादातर पाबंदियां खत्म हो जाती है साथ ही उनकी युवा अवस्था भी समाप्त हो जाती है। जबकि पुरुष समाज सबसे ज्यादा ध्यान महिला के स्तनों को ढकने की ओर देता है। जैसे स्तन नहीं हो गए । कोई बम हो गए । जो पुरूष के देखने भर से वो लालायित हो उठेगा।मानो उसके शरीर के बाकी हिस्सों की तरह ये खास है ये खास नहीं है इसे खास बनाया गया है उनके स्तनों को उनकी इज्जत , शर्म में परिवर्त...